What is perfection? What are the loss of perfection?

परफेक्शन क्या है? 

"परफेक्शन" यह आसान सा साधारण सा देखने वाला यह शब्द का मतलब होता है किसी काम को ऐसे करना जैसे कि उसमें कोई भी कमी ना हो। प्रोफेशन का मीनिंग तो सब कुछ जानता ही है या एक आसान शब्द है पर या लाइफ में बहुत बड़ा भूचाल लेकर आता है लाइफ में अधिकतर हम इसी के पीछे भागते हैं और यह हमको पीछे पीछे भाग आता है जैसे मान लीजिए 

आप एक स्टूडेंट हो 100 में से 98 नंबर दिया है या 99 नंबर भी है तो आप संतुष्ट नहीं रहेंगे क्योंकि काम परफेक्ट नहीं हुआ है।

यदि आप एक कोई कंपनी चला रहे हैं तो आप चाहेंगे कि हमारे कंपनी में सारा काम परफेक्ट हो।

आप कोई पेंटर है तो आप चाहेंगे कि आपकी जो कला आप बनाए हो उसमे कोई गलती न हो।

आप कोई आर्किटेक्चर हो तो आप चाहोगे कि आपने जो घर बनाया है उसमें कोई गलती ना हो।

अगर आपको यह साइंटिस्ट हो तो आप चाहोगे की आपके एक्सपेरिमेंट मे कोई गलती ना हो।

आदि - आदि इत्यादि आप चाहते हो कि आपके द्वारा किया गया कार्य पहली बार या दूसरी बार या फिर तीसरी बार या फिर आप जब भी करो तो उसमें कोई त्रुटि ना हो हर काम परफेक्टली हो जाए कैसा हो सकता है? ऐसा 99 परसेंट में अगर मैं कहूं तो 0.00001 पर्सेंट की संभावना है कि वह कार्य में जो आप कार्य कर रहे हो उसमें त्रुटि ना आए। अगर हम अपने चारों तरफ देखें तो हमें नीचे दिखाई देता है प्रकृतिक का एक सौंदर्य हमारे सामने प्रस्तुत हो जाएगा देख सकते हो आपके पास कोई पेड़ होगा आसपास तो वहां पर आ जाना और उसके पत्तों को देखना कैसा है अगर होंगे तो मेरे को कमेंट कर देना। 

यदी कोई आपके आसपास जंगल होगा तो वहां पर जाकर देखना कोई एक प्राकार के पेड़ चुन लेना और उन सब पेड़ों की आप लंबाई देख लेना क्या वह एक समान होंगे नहीं।

क्या पृथ्वी पूरी तरीके से गोल है नहीं।

क्या चांद पूरी तरीके से गोल है नहीं।

तो निष्कर्ष निकलता है कि दुनिया का कोई भी काम हो किसी भी प्रकार का हो वह पहली बार में तो पूरे ठीक ढंग से नहीं हो सकता है। तो आप कैसे समझ लिया क्या आपके द्वारा किया गया कार्य मैं गलतियां नहीं होगी गलतियां होंगी पर गलतियों से हम सीखेंगे तभी तो आगे हम सुधार कर पाएंगे और दूसरी दफा तीसरी दफा ठीक ढंग से वह काम हो सकेगा। हालांकि कई बार हम में दोष नही होता कुछ बाहरी प्रभाव के कारण आपका वह काम जिसे आप परफेक्टली करना चाहते हो वह नही हो पाता तो उस समय खुद को समझा लेना उच्चित होता है। कई बार समस्या को ठीक करना अनिवार्य होता। 

तो परफेक्ट की चिड़ियां को अपने अंदर से निकाल फेको क्यों की लम्बी है जिंदगी मिलेंगे लाखो हंसीं सनम तू अकेले तो नही। 

फलतू के टेंशन लेते रहते हैं कम नंबर आता है एग्जाम में तो अगले परीक्षा इंतजार कर रही है दोस्त अभी तो एक देखा अभी हजार देखना है। इसलिए टेंशन मत लो परफेक्शन का अगर आपका काम 100 मेसे 98 या 99 आता तो आपको इंप्रूवमेंट की जरूरत है टेंशन की नहीं। तो एग्जाम का टेंशन को छोड़ दो काम पे ध्यान लगाओ।
काम से आप आगे बढ़ोगे। मार्कशीट केवल प्रमाण है आपके हिस्टरी का। केवल काम होने का अर्थ होता है काम न होने का कोई अर्थ नहीं होता ठीक उसी तरह काम या ज्यादा का कोई महत्व नहीं होता क्योंकि जिसके पास ज्यादा या कम पैसा है वो भी खुस है और जिसके पैसा हो या न हो वह ज्यादा के चक्कर में दुखी है। तो उसका क्या ही किया जा सकता है।

Thanks:)

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