नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि तारों(सूर्य एक प्रकार का स्टार/तारा ही है) की मृत्यु क्यों होती है? सुनकर आपको बड़ा आश्चर्य लग रहा होगा कि भला कैसे तारों की मृत्यु हो सकती है या तो हमारे सामने ही होते हैं रात को रोज चमकते रहते हैं भला यह कैसे मर सकते हैं पर ऐसा मैं नहीं कह रहा ऐसा वैज्ञानिक कह रहे हैं क्योंकि जो भी हमारे इर्द-गिर्द है वह अनंत नहीं है वह एक निश्चित समय के लिए ही है आप हो या फिर मैं हूं सब एक समय अंतराल के बाद समाप्त हो जाएंगे। किसी भी वस्तु का अगर जन्म हुआ है तो उसका मृत्यु निश्चित है ठीक इसी तरह हमारे ब्रह्मांड में बहुत से तारे होते हैं जोकि मरते हैं और जन्म लेते हैं तो आइए जान लेते हैं कि यह जन्म कैसे लेते हैं और इनकी मृत्यु कैसे होती है तो चलिए शुरू करते हैं।
टोपी शुरू करने से पहले हमें कुछ बातों को समझ लेना बहुत आवश्यक है तो चलिए उन बातों को संक्षेप में समझ ले -
Contraction Force - यह एक प्रकार का फोर्स होता है जो गैसियस पार्टिकल को एक जगह पर केंद्रित करने में लगा होता है।
Exapanding Force - एक प्रकार का कोर्स है जो सजन के कारण गैसियस पार्टिकल को एक्सपेंड करता है।
जब कॉन्ट्रक्शन फोर्स और एक्सपेंडिंग फोर्स दोनों बराबर रहते हैं तब तक स्टार स्टेबल दिखता है जब इनमें समानता होती है तो फ्यूजन स्टार्ट हो जाता है गैस असिस्टेंट कब सूजन फिर से स्टार्ट हो जाता है और गैसियस फ्यूजन 1 बहुत बड़ा कारण जिसके वजह से स्टार का अंत होता है। हालांकि फ्यूजन का एक अलग अलग गैस पर अलग अलग डिपेंडेंसी होती है पर ब्रह्मांड में बहुत सारे गैसेस पाए जाते हैं और उनकी अलग-अलग स्टेट फ्यूजन स्टेट होती है। जैसे कि हीलियम है कारबन है और आयरन है इनको फ्यूजन करने के लिए उतनी एनर्जी होनी चाहिए फ्यूजन के लिए बहुत सारी एनर्जी की आवश्यकता होती है अलग-अलग गैसेस के लिए अलग-अलग फ्यूचर एनर्जी चाहिए उसको होने के लिए इसलिए अगर मैं बात करूं हीलियम की फ्यूजन की तो एलियन को कम ही चाहिए उससे ज्यादा कार्बन को चाहिए और सबसे ज्यादा फ्यूजन होने के लिए।
तो मुझे उम्मीद है कि आपको या टेक्निकल टर्म समझ में आया होगा हल्का-फुल्का ही सही आपको समझ जरूर आया होगा तो आइए अपने टॉपिक पर आते हैं कि सूर्य या फिर और सारे स्टार्स की मृत्यु कैसे होती है। पहले गैसियस स्टेट का कॉन्ट्रक्शन होता है जितने भी गैसेस पार्टिकल होते हैं उन सब का कॉन्ट्रक्शन होता है और कॉन्ट्रक्शन होते होते एक बहुत बड़ा गैस का फ्यूजन होता है जिसमें पहला गैस होता है हाइड्रोजन इसके बाद अब यह स्टार एक्सपेंड होने लगते हैं फिर रुक जाता है कुछ समय के बाद क्योंकि जो भी वह गैसियस पार्टिकल को इकट्ठा किया हुआ है उसमें हीलियम की जो संख्या है वह इन फाइनेंस नहीं है उसके संख्या जैसे-जैसे घटती जाएगी वैसे वैसे सूजन कम होता जाएगा और फिर कंट्रक्शन चालू हो जाता है इसके बाद हीलियम का फ्यूजन स्टार्ट होता है और पार्टिकल के खत्म हो जाने के बाद फिर कंट्रक्शन स्टार्ट होता है इसके पश्चात कार्बन नाइट्रोजन ऑक्सीजन चलते-चलते आयरन तक पहुंचता है। ऐसे करते-करते स्टार का अंत होता है। जैसे देखिए जो सूर्य एक स्टार है उसकी एज बताई जाती है वह 10 बिलियन ईयर्स बताई जाती है जिसमें जिंदा रह चुका है और उसकी जो है आयु केवल 5 बिलीयन ईयर्स ही बची हुई है।
निष्कर्ष - सूर्य का अंत एक नेचुरल प्रोसेस से होगी जिसे हम और आप नहीं डाल सकते हैं। क्योंकि ब्रह्मांड में बहुत सारे ऐसे नियम और कानून है जिसे बदला नहीं जा सकता है और वह नियम नेचर ही निर्णय करता है। सूर्य भी एक प्रकार का तारा ही है जिसका अंत आयरन के फ्यूजन के बाद हो जाएगा।
इंट्रेस्टिंग फैक्ट - सूर्य के खत्म हो जाने के बाद यह देखना बड़ा ही विचित्र होगा की जब इसका अलग-अलग चरण आएगा तो यह नेबुला ब्लैक द्वार और अंत में सुपरनोवा के बाद न्यूट्रॉन स्टार का फॉर्मेशन होगा या ब्लैक होल का फॉरमेशन होगा यह देखना बड़ा आश्चर्यचकित कर देने वाला है।
आपकी क्या राय है क्या सूर्य ब्लैक होल बनेगा या न्यूट्रॉन स्टार। कमेंट में जरूर बताइ और ब्लॉक अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें मिलते हैं किसी अन्य ब्लॉक में किसी अन्य टॉपिक के साथ तब तक के लिए ओके बाय।
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